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सुप्रीम कोर्ट ने नौ दलों पर लगाया जुर्माना, कहा-अपराधियों को सांसद और विधायक बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती

newsmrl.com Supreme Court fined nine parties including BJP, Congress, said - criminals cannot be allowed to become MPs and MLAs update by Rajinder Singh

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (यूनाइटेड) सहित नौ राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया है।

मामला 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का पालन नहीं करने का है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले और राजनीति के अपराधीकरण में शामिल लोगों को सांसद और विधायक बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। 13 फरवरी, 2020 में दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इन राजनीतिक दलों को एक आदेश दिया था। इसमें कहा गया था कि उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटे के भीतर या नॉमिनेशन से कम से कम दो सप्ताह पहले उनके अतीत का ब्योरा प्रकाशित करें। राजनीति में अपराधीकरण पर तल्ख टिप्पणी करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि राजनीतिक दल राजनीति से अपराध खत्म करने की दिशा में सही कदम नहीं उठा रहे हैं।

बिहार चुनाव में 469 उम्मीदवारों का था क्रिमिनल बैकग्राउंड
निर्वाचन आयोग ने कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव में 10 राजनीतिक दलों ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 469 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। बेंच ने कहा कि केवल जीत के आधार पर क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों का चयन सुप्रीम कोर्ट के 13 फरवरी 2020 के निर्देश का उल्लंघन है। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को जागरुकता अभियान चलाने का भी निर्देश दिया। इसके मुताबिक इस दौरान हर मतदाता को उसके जानने के अधिकार के बारे में बताया जाए। साथ ही सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत के बारे में जानकारी की उपलब्धता के बारे में जागरूक किया जाए। आदेश में कहा गया कि यह सोशल मीडिया, वेबसाइट, टीवी विज्ञापनों, प्राइम टाइम डिबेट, पर्चा आदि सहित विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए चार सप्ताह की अवधि के भीतर एक कोष बनाया जाना चाहिए, जिसमें अदालत की अवमानना के लिए जुर्माना अदा किया जाएगा।

निर्वाचन आयोग को मोबाइल एप्लिकेशन (ऐप) बनाने का निर्देश
शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन (ऐप) बनाने का निर्देश दिया जिसमें उम्मीदवारों के जरिए उनके आपराधिक रिकाॅर्ड के बारे में प्रकाशित जानकारी शामिल हो ताकि मतदाता को एक ही बार में अपने मोबाइल फोन पर जानकारी मिल सके. शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को हर मतदाता को उसके जानने के अधिकार और सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत के बारे में जानकारी की उपलब्धता के बारे में जागरूक करने के लिए एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया.

देश लगातार इंतजार कर रहा है
राजनीतिक दलों पर अलग-अलग जुर्माना लगाते हुए कोर्ट ने राजनीतिक व्यवस्था को अपराध से मुक्त करने के लिए कदम नहीं उठाने पर सरकार की विधायी शाखा की उदासीनता पर अफसोस जताया। जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि देश लगातार इंतजार कर रहा है और धैर्य खो रहा है। राजनीति की प्रदूषित धारा को साफ करना सरकार की विधायी शाखा की तात्कालिक चिंताओं में शामिल नहीं है। बेंच ने दो राजनीतिक दलों-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए कहा कि उन्होंने इस अदालत द्वारा जारी निर्देशों का बिल्कुल भी पालन नहीं किया है। जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और उनसे आठ सप्ताह के भीतर निर्वाचन आयोग में रकम जमा करने को कहा। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी पर जुर्माना नहीं लगाया गया।

  • किस पर कितना फाइन?
  • भाजपा 1 लाख
  • कांग्रेस 1 लाख
  • भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी 1 लाख
  • जदयू 1 लाख
  • राजद 1 लाख
  • लोजपा 1 लाख
  • सीपीएम 5 लाख
  • एनसीपी 5 लाख
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