DELHI : केंद्र सरकार UAPA के तहत PFI पर 5 साल का प्रतिबंध लगा रही है। ये कदम एजेंसियों की जांच के बाद उठाया जा रहा है। एजेंसियों का कहना है कि समर्थन के चलते यह देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। PFI को देश के लिए बड़ा खतरा बताते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, पर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर कार्रवाई की गई है।
केंद्र सरकार UAPA के तहत PFI पर 5 साल का प्रतिबंध लगा रही है। पिछले कुछ दिनों में जांच एजेंसियों को PFI के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले जिसके बाद NIA, ED और राज्यों की पुलिस ने 22 और 27 सितंबर को PFIऔर उससे जुड़े संगठनों पर बड़ी छापेमारी की थी। पहले राउंड की छापेमारी में 106 PFI से जुड़े लोग कार्यकर्ता हुए थे। 27 सितंबर को दूसरे राउंड की छापेमारी में 250 PFI से जुड़े लोग गिरफ्तार/हिरासत में लिए गए।
केंद्र सरकार ने बताया की PFI और इससे जुड़े ये संगठन देश में आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं।
- नेशनल विमेन्स फ्रंट
- कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)
- . एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
- नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)
- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF)
- जूनियर फ्रंट
- ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)
- रिहैब फाउंडेशन
केंद्र सरकार ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA के तहत लिया है। सरकार ने कहा, PFI और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। ऐसी कई घटनाएं हैं, जिनसे ये साफ होता है कि PFI के संबंध ISIS से हैं। PFI के कुछ सदस्यों ने इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन जॉइन किए। ये संगठन चुपके-चुपके देश के एक तबके में यह भावना जगा रहा था कि देश में असुरक्षा है और इसके जरिए वो कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा था। क्रिमिनल और टेरर केसेस से जाहिर है कि इस संगठन ने देश की संवैधानिक शक्ति के प्रति असम्मान दिखाया है।
केंद्र सरकार के अनुसार PFI ने अपने सहयोगी और फ्रंट बनाए, इसका मकसद समाज में युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और कमजोर वर्गों के बीच पैठ बढ़ाना था। इस पैठ बढ़ाने के पीछे PFI का एकमात्र लक्ष्य अपनी मेंबरशिप, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना था।PFI के कुछ फाउंडिंग मेंबर्स SIMI के लीडर्स थे। इसके संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से थे। ये दोनों प्रतिबंधित संगठन हैं। बाहर से मिल रही फंडिंग और वैचारिक इन संगठनों की गतिविधियां देश की शांति और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकती हैं। PFI और इससे जुड़े संगठन गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ये गतिविधियां देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा हैं।