सेक्स सिर्फ शारीरिक सुख के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि कई रिसर्च इस बात को साबित करते हैं इसको करने से इंसान का शरीर स्वस्थ और कई बीमारियों से दूर रहता है।
सेक्स, इंसान की खोजी हुई वो पहली दवा है जिसे हर दिन लेने से शरीर को फायदा होता है। आपको बताते हैं वो 4 कारण जिनकी वजह से खासकर हर दिन सेक्स करना चाहिए या नहीं।कुछ लोगों का मानना है कि हफ्ते में बस एक या दो बार सहवास करना पर्याप्त होता है, जबकि कुछ मानते हैं कि महीने में एक या दो बार ही काफी होता है। तो अलग-अलग लोगों की राय अलग-अलग होती है, इसलिए बेहतर यही होगा कि किसी स्टैंडर्ड या गिनती के पचड़े में न पड़कर बस सहवास का इच्छानुसार भरपूर आनंद उठाएं। संख्याओं से ज्यादा जरूरी है आनंद।
- एक्ससाईज़ का अच्छा तरीका
सेक्स एक शारीरिक क्रिया है। इंटरकोर्स के दौरान आपके शरीर में ठीक वैसे ही क्रियात्मक बदलाव होते हैं जैसा कि वर्कआउट या व्यायाम करते वक्त। लिहाजा आप थकते हैं और आपके शरीर की कैलोरी बर्न होती है। एक रिसर्च के मुताबिक अगर आप हफ्ते में 3 बार सेक्स करते हैं तो आप 1 साल में उतनी ही कैलोरी बर्न करते हैं जितनी 75 मील - जॉगिंग करने से। सेक्स करने से शरीर की हड्डियां और मांसपेशियां भी मजबूत बनती हैं।दर्द से छुटकारा
“आज नहीं, आज मेरे सिर में दर्द है…” अब इस तरह के बहाने नहीं चलेंगे, क्योंकि सेक्स के दौरान स्त्री और पुरुष दोनों के शरीर में इंडॉरफिन नाम का हॉरमोन बनता है जो पेनकिलर का काम करता है। एक स्टडी के मुताबिक सेक्स खासकर ऑर्गेज़म के दौरान लोगों को दर्द महसूस नहीं होता। महिलाओं में तो सेक्स करने से फर्टिलिटी पावर भी बढ़ता है।
अहम बात यह नहीं कि कोई कितनी बार सहवास करता है, बल्कि यह कि वह कैसे करता है। हकीकत में सहवास का मतलब होता है- समान भोग या समान आनंद। इस क्रिया से दोनों को बराबर आनंद मिलना चाहिए। कामसुख से मिलनेवाले सुख की तुलना दूसरे कामों से मिलनेवाले सुख से नहीं की जा सकती। यह वह सुख या परम आनंद है, जिसका अहसास दो लोग एक साथ मिलकर करते हैं। हालांकि दोनों का चरम सुख पर एक साथ पहुंचना जरूरी नहीं।
प्रॉस्टेट की सुरक्षा
सेक्स के दौरान जो भी द्रव शरीर से बाहर आता है वो ज्यादातर प्रॉस्टेट ग्रंथि से सिक्रीट होता है। ऐसे में अगर इजैक्यूलेशन की प्रक्रिया रुक जाती है, तो ये द्रव पदार्थ ग्रंथि में ही रह जाता है जिससे सूजन हो सकती है और कई तरह की समस्याएं भी। समय-समय पर इजैक्यूलेशन की प्रक्रिया होने से प्रॉस्टेट ग्रंथि की सुरक्षा होती है।
स्ट्रेस रिलीफ़
ये एक वैज्ञानिक तथ्य है कि सेक्स करने से स्ट्रेस यानी तनाव से मुक्ति मिलती है। इस प्रक्रिया के दौरान आपके शरीर में डोपामाइन नाम का एक पदार्थ बनता है जो स्ट्रेस हॉरमोन से लड़ता है। इसके अलावा इंडॉरफिन हॉरमोन और ऑक्सिटॉक्सिन भी शरीर में बनता है जो तनाव से शरीर को छुटकारा दिलाता है