DELHI : भारतीय रुपया कमजोर होता हुआ अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंचा है, वहीं मजबूत होता डॉलर 20 साल के उच्चतम स्तर पर विराजमान है. दरअसल इसके पीछे वजह वजह यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाया जाना है। बुधवार को यूएस फेड ने मंहगाई को नियंत्रित करने के 0.75 बेसिस प्वाइंट ब्याज दर बढ़ाया था। इससे पहले जुलाई में भी यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों में इजाफा किया गया था. एक अधिकारी ने बताया, बाजार के बुनियादी अनुरूप कमजोर रुपया हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है। अधिकारी के अनुसार,भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी मददगार साबित होगा। इससे इंपोर्ट घटेगा और एक्सपोर्ट बढ़ेंगा, जबकि इस पूरे मसले पर अभी वित्त मंत्रालय ने कोई बयान जारी नहीं किया है।
दरअसल रुपये की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय बैंक ने जुलाई में 19 अरब डॉलर के रिजर्व को बेच दिया था। लेकिन स्थिति बहुत बेहतर नहीं हुई है। छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.88 प्रतिशत चढ़कर 111.61 पर आ गया। नतीजतन रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ पहुंचा, वहीं 20 साल के हाई पर डॉलर विराजमान है, डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। एक डॉलर की कीमत बढ़कर 80.28 रुपये हो गई है। वहीं, दूसरी तरफ डॉलर 20 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। एक डॉलर की कीमत बढ़कर 80.28 रुपये हो गई है। वहीं, दूसरी तरफ डॉलर 20 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। बता दें, बुधवार को एक डॉलर की कीमत 79.98 रुपये थी। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.49 प्रतिशत बढ़कर 90.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को शुद्ध रूप से 461.04 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने की एक बड़ी वजह ये रही की यूएस फेड ने ब्याज दर बढ़ा दी, नतीजतन भारतीय रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंचा, जबकि मजबूत होता डॉलर 20 साल के उच्चतम स्तर पर।