DELHI : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का ये ट्वीट ‘भारतीय किसान दुनिया का पेट भर रहा है। मिस्र ने भारत से गेहूं के इंपोर्ट को मंजूरी दी है। दुनिया की बढ़ती मांग को देखते हुए संभावना है कि वित्त वर्ष 2022-23 में गेहूं का निर्यात रिकॉर्ड 100 लाख टन पार कर जाएगा।’ अब भाजपा के लिए मुसीबत बन रहा, इस ट्वीट के वक़्त भारत दुनिया में बढ़ती कीमतों का फायदा उठाने के लिए भारत सरकार ने इस साल मार्च तक करीब 70 लाख टन गेहूं विदेश भेज दिया। जो पिछले साल की तुलना में 215% ज्यादा है। अप्रैल में भारत ने रिकॉर्ड 14 लाख टन गेहूं विदेशों में बेचा था, लेकिन अब अगस्त ख़त्म होते तक स्थिति ये है कि शनिवार को भारत सरकार ने गेहूं के अलावा आटा, मैदा और सूजी तक के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया। ये नौबत उस वक़्त सामने आई है जब 21 अगस्त 2022 को ‘लाइव मिंट’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि FCI के पास अगस्त महीने में पिछले 14 साल में गेहूं का स्टॉक सबसे कम था। इसकी वजह से इस साल के जुलाई महीने में आम लोगों के लिए गेहूं की कीमतों में 11.7% की बढ़ोतरी हुई थी। जो कहीं न कहीं मिंट के दावे को सच साबित करती है, दरअसल 2022 की शुरुआत में रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू होने से इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं की डिमांड काफी तेजी से बढ़ गई। भारत ने भी इस मौके पर दुनिया भर के देशों को गेहूं भेजा मिस्र, तुर्की और बांग्लादेश के अलावा यूक्रेन मिस्र, इंडोनेशिया, फिलीपींस, तुर्की और ट्यूनीशिया में भी सप्लाई की गई. लेकिन अब देश में गेहूं के संकट को देखते हुए भारत सरकार ने इसके एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है।
FCI के घटते स्टॉक को क्यों किया गया नज़रअंदाज
सवाल ये उठता है की जब केंद्र की मोदी सरकार विदेशों में जम कर गेहूं बेच कर सरकारी खजाना भर रही थी उस वक़्त भी स्टॉक की रिपोर्ट तो FCI से केंद्र को मिलती ही होगी, जो तेजी से नीचे जा रहा था, तो क्या तब उन रिपोर्ट्स को नज़रअंदाज किया गया? आज अगर गेहूं का स्टॉक पिछले 14 साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ खड़ा हुआ है और उसका सीधा सीधा प्रभाव आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला है तो ये कैसी नीति है सरकार की इस पर सवाल तो उठेंगे ही, क्यूंकि ब्लूमबर्ग रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में गेहूं की कमी और दुनिया भर में बढ़ रही कीमतों के बीच अब अधिकारी विदेश से गेहूं लाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, रिपोर्ट के सामने आते ही भारत सरकार की ओर से सफाई दी गई थी। सरकार ने कहा था कि विदेश से गेहूं खरीदने का कोई प्लान नहीं है और देश में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है। लेकिन इस दावे के साथ भले ही भारत सरकार गेहूं की कमी को नकार रही हो, लेकिन देश में गेहूं की कमी होने वाली है! ऐसा होने की वज़ह सामने नज़र आ ही रही है, दरअसल मई 2022 में केंद्र सरकार ने एक्सपोर्ट पॉलिसी में संशोधन करते हुए गेहूं के निर्यात को रिस्ट्रिक्टेड कैटेगरी (प्रतिबंधित श्रेणी) में कर दिया था। इसके बाद 27 अगस्त को सरकार ने सिर्फ गेहूं ही नहीं आटा, मैदा और सूजी के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगाने का फैसला लिया।
हालांकि आने वाले समय में आटे की कीमतों में और इजाफा होने वाला है, इसके पीछे तीन वजहें और हैं,
हीटवेव की वजह से घटी गेहूं की पैदावार
इस बार देश में गेहूं की पैदावार में कमी देखी गई जिसका सबसे बड़ा कारण मौसम है। मार्च से हीटवेव शुरू हो गई, जबकि मार्च में गेहूं के लिए 30 डिग्री से ज्यादा टेम्प्रेचर नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसी समय गेहूं के दानों में स्टार्च, प्रोटीन और अन्य ड्राई मैटर्स जमा होते हैं। इस वजह से देश में गेहूं की पैदावार थोड़ी कम जरूर हुई लेकिन ये इतनी भी कम नहीं थी की देश में आटा संकट आ जाए.
गेहूं की नई फसल अगले साल की तिमाही में आएगी
एक्सपर्ट यह भी कहते हैं कि देश में नया गेहूं अब अप्रैल 2023 में ही आएगा। यानी इसमें अभी 7 महीने का वक्त है। ऐसे में कीमतें बढ़ना तय हैं। वहीं, केंद्र सरकार की मुफ्त गेहूं योजना भी इसकी कीमतों को तय करेगी।
त्योहारी सीजन में और बढ़ेंगे आटे और गेहूं के दाम
देश में त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। आमतौर पर त्योहारी सीजन में गेहूं से बनी वस्तुओं की खपत बढ़ जाती है। एक्सपर्ट आशंका जता रहे हैं कि आने वाले महीनों में गेहूं और आटा के दाम 5-7 रूपए प्रति किलोग्राम तक! और बढ़ सकते हैं!
लेकिन इन सभी वज़हों के बाद भी देश में कभी भी आटे का संकट नहीं आना चाहिए था, क्यूंकि FCI का स्टॉक ऐसी ही स्थितियों से देश को बचाने और आम जनता को राहत देने के लिए होता है, जिसे फिलहाल तो पिछले 14 वर्षों के सबसे कम स्टॉक के साथ संघर्ष करना पड़ रहा.