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जानिए क्या है 1990 से असम में लागु AFSPA, जिसे वापस लेने का प्लान बना रहे असम के सीएम

Assam CM Himanta Biswa is planning to withdraw Controversial law AFSPA implemented in Assam since 1990

1990 से असम में लागु विवादास्पद कानून AFSPA सुरक्षा बलों को कार्रवाई करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। इसके अलावा, किसी की गोली मारकर हत्या कर देने पर यह कानून सुरक्षा बलों को गिरफ्तारी और मुकदमे से छूट देता है। असम को नवंबर, 1990 में AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था। तभी से इसे हर छह महीने में बढ़ाया जाता रहा है।

मुख्यमंत्री सरमा सोमवार को कमांडेंट सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राज्य में लागू विवादास्पद कानून AFSPA को लेकर बड़ा ऐलान किया उन्होंने सोमवार को कहा कि उनका टारगेट इस साल के अंत तक पूरे राज्य से अफस्पा को पूरी तरह से वापस लेने का है। सरमा ने कहा, ‘नवंबर तक पूरे राज्य से अफस्पा हटाया जा सकता है। हम अपने पुलिस बल को ट्रेनिंग देने के लिए पूर्व सैन्यकर्मियों को भी शामिल करेंगे।’ फिलहाल, असम के 8 जिलों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 या AFSPA लागू है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि इस कदम से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों या CAPF की जगह असम पुलिस बटालियनों की तैनाती को लेकर सुविधा होगी।

AFSPA के गलत इस्तेमाल का आरोप
मुख्यमंत्री सरमा पिछले 2 सालों में असम में कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार होने का दावा कर रहे हैं। इसी का हवाला देते हुए उन्होंने इस कानून को पूरी तरह से वापस लेने की वकालत की है। मानवाधिकार कार्यकर्ता आरोप लगाते रहे हैं कि अक्सर इस कानून का इस्तेमाल लोगों को गिरफ्तार करने में होता है। उनका दावा है कि अफस्पा का दुरुपयोग घरों पर छापा मारने या यहां तक ​​कि गोली मार देने में भी हुआ है। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश के साथ सीमा विवाद पूरी तरह से सुलझा लिया गया है। उन्होंने मेघालय के साथ 12 विवादित क्षेत्रों में से 6 पर समझौता हो गया है और बाकी इलाकों को लेकर बातचीत अगले महीने शुरू होगी।

बीते दिनों कई उग्रवादियों ने किया आत्मसर्मण 
पिछले साल अक्टूबर में सीएम सरमा ने 318 पूर्व उग्रवादियों को डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) सौंपे थे। इन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक और असम पुलिस, सेना व अर्द्धसैनिक बलों के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में हथियार छोड़ दिए थे। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (आई), यूनाइटेड गोरखा पीपल्स ऑर्गेनाइजेशन (यूजीपीओ), तिवा लिबरेशन आर्मी (टीएलए), कूकी लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ), दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) और कूकी नेशनल लिबरेशन आर्मी (केएनएलए) के आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये की एकमुश्त राशि दी गई। सीएम सरमा ने कहा था, ‘हमारी सरकार के पिछले डेढ़ साल में असम में उल्फा (आई) को छोड़कर सभी उग्रवादी संगठन मुख्यधारा में लौट आए हैं। मैं उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ से फिर अपील करता हूं कि शांति से समाज को आगे ले जाएं, खून-खराबा करके नहीं।’

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