NASA : अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और एमपी बिड़ला प्लैनेटेरियम के बताए अनुसार सोमवार शाम से मंगलवार अल सुबह तक बृहस्पति ग्रह 59 साल बाद पृथ्वी के सबसे करीब आया। इस दौरान दोनों ग्रहों के बीच की दूरी सबसे कम रही। हालांकि बृहस्पति हर 13 महीने में पृथ्वी के करीब आता है, लेकिन कभी इतना नजदीक नहीं होता। वैज्ञानिकों की मानें तो आज के बाद यह दुर्लभ संयोग 107 वर्ष बाद साल 2129 में बनेगा। के मुताबिक, इस घटना के दौरान बृहस्पति और धरती के बीच सिर्फ 59.1 करोड़ किलोमीटर की दूरी रही। बृहस्पति जब पृथ्वी से सबसे दूर होता है, तब यह दूरी 96.5 करोड़ किलोमीटर होती है। बृहस्पति के नजदीक आने का असर मौसम पर भी दिखाई दिया। दक्षिण भारत के राज्यों, बिहार व बंगाल में जाते हुए मानसून की अच्छी वर्षा हो रही है। इस साल सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच भी अक्टूबर-नवंबर में अच्छी बारिश होने वाली है।
कोलकाता के एमपी बिड़ला प्लैनेटेरियम के अनुसार, बृहस्पति ग्रह आसमान में -2.9 मैग्निट्यूड के साथ चमका। इससे वह बेहद बड़ा और चमकदार दिखाई दिया। जैसे-जैसे रात गहराई, वैसे-वैसे यह आकाश में ज्यादा साफ नजर आया। भारत में यह घटना सोमवार शाम 5 बजकर 29 मिनट से मंगलवार सुबह 5 बजकर 31 मिनट तक देखी गई।अंतरिक्ष प्रेमीयों ने बृहस्पति को टेलिस्कोप और दूरबीन की मदद से देखा। रोज की तुलना में कल से आज चंद्रमा भी केवल 17% रोशन रहा, जिससे बृहस्पति और बेहतर नजर आया। मौसम साफ होने की वजह से नजारा और भी बेहतर बन गया।
बृहस्पति हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह पृथ्वी से लगभग 11 गुना बड़ा है। वैज्ञानिकों की मानें तो 79 चंद्रमा इसकी परिक्रमा करते हैं। यह सबसे तेज गति से अपने अक्ष पर सूर्य का चक्कर लगाने वाला ग्रह है। इसे सूरज की एक परिक्रमा करने में 11.86 साल का वक्त लगता है। बृहस्पति ग्रह की खोज 1611 ई. में गैलीलियो गैलिलेई ने की थी। इसके वायुमंडल में मुख्य तौर पर हाइड्रोजन और हीलियम गैस और कम मात्रा में मीथेन और अमोनिया गैस पाई जाती हैं।