गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली बिल के विरोध में आप और कांग्रेस
newsmrl.com political news update by rajinder singh

लोक सभा में गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली (संशोधित बिल) 2021 पेश किए जाने का विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया है और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि इसके लागू होने के बाद दिल्ली में लोकतंत्र दब जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब उपराज्यपाल गृह मंत्रालय के जरिए दिल्ली पर आक्रामक तरीके से राज करेंगे। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बिल बताया है।बता दें कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को लोक सभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन विधेयक पेश किया था।
वहीं दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच कूदी कांग्रेस पार्टी के नेता मनीष तिवारी ने कहा, ‘गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली 2021 अगर लागू होता है, तो दिल्ली में लोकतंत्र दब जाएगा।अगर बिल पास हुआ तो दिल्ली की चुनी हुई सरकार और विधान सभा उपराज्यपाल के दरबार में सिर्फ याचिकाकर्ता होंगे। अब उपराज्यपाल दिल्ली पर आक्रामक तरीके से राज करेंगे, वो भी गृह मंत्रालय के जरिए.’
वहीं कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा, ‘ये बिल लोकतंत्र पर हमला है, जनता द्वारा चुनी गई सरकार की ताकत को कम करना लोकतंत्र का मजाक है. सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना चाहिए.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘भाजपा को दिल्ली के लोगों ने खारिज कर दिया है।पहले विधान सभा में सिर्फ आठ सीटें दीं, फिर हाल के नगर निगम उपचुनाव में एक भी सीट नहीं दी।इससे भाजपा अब लोकसभा में विधेयक के जरिए चुनी हुई सरकार की शक्तियों को काफी कम करना चाहती है।विधेयक संविधान के फैसले के विपरीत है। हम भाजपा के असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी कदम की कड़ी निंदा करते हैं.’
दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘विधेयक कहता है कि दिल्ली के लिए सरकार का मतलब एलजी होगा। सभी फाइलें एलजी के पास जाएंगी।फिर चुनी हुई सरकार क्या करेगी।यह संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ है, जो कहता है कि फाइलें एलजी को नहीं भेजी जाएंगी।सिर्फ फैसले की प्रति एलजी को भेजी जाएगी।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा, ‘उनका लोकतंत्र में कोई यकीन नहीं है। चुनी हुई सरकार में कोई यकीन नहीं है।दिल्ली के मामले में केंद्र सरकार ने सबक सिखाने का काम किया कि प्रचंड बहुमत के साथ आई सरकार का भी कोई मतलब नहीं है। एक तरफ संविधान पीठ का फैसला।दूसरी तरफ लोगों का फैसला।इस दोनों को दरकिनार करते हुए उपराज्यपाल को मजबूत करने के लिए ऐसा कदम उठाना- गैरसंविधानिक बिल है। ये बिल पास नहीं होना चाहिए, नहीं तो कोर्ट में संविधान से लोगों का भरोसा उठ जाएगा।
