दिल की बीमारियों का इलाज करने वाली देश की पहली एडवांस तकनीक रायपुर में
newsmrl.com Medical update by Akanksha tiwari

[0:02 pm, 30/01/2021] Reporter Akanksha Tiwari Raipur: दिल की बीमारियों का इलाज करने वाली देश की पहली एडवांस तकनीक रायपुर में छत्तीसगढ़ में दिल की बीमारियों का इलाज करने के लिए देश की पहली एडवांस तकनीक से लैस मशीन उपलब्ध है। रायपुर के आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में पौने तीन करोड़ की कोरोनरी लेजर एंजियोप्लास्टी (ईएलसीए) पराबैगनी किरणों का इस्तेमाल कर किसी भी तरह के हार्ट ब्लॉकेज को भाप बनाकर उड़ा देती है।
कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव का दावा है कि देश में पहली बार एसीआई में ईएलसीए से इलाज किया गया है। चीन के बाद एशिया में कही पर इसकी सुविधा उपलब्ध नही थी। एसीआई में पौने तीन करोड़ रुपए की लागत से स्थापित मशीन का शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने लोकार्पण किया।
स्वास्थ्य मंत्री ने इस मौके पर हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि कोरोनरी लेजर एंजियोप्लास्टी की सुविधा जटिल कोरोनरी आर्टरी स्टेनोसिस के रोगियों के लिए बेहद लाभदायक साबित होगा। राज्य के शासकीय संस्थानों में तेजी से स्वास्थ्य सुविधाएं उन्नत हो रही हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने उस महिला से भी मुलाकात किया, जिसका इलाज एसीआई में किया गया है।
कार्डियोलॉजी विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने ईएलसीए के बारे में बताते हुए कहा कि यह हृदय की वाहिका में कठिन ब्लॉकेज के उपचार के लिए बेहद उन्नत एवं प्रभावकारी इलाज की पद्धति है। यह छोटी तरंगदैध्र्य वाली उ’च ऊर्जा पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश का उपयोग करता है, जो ना खुलने वाले ब्लॉकेज, बहुत पुराना एवं सम्पूर्ण ब्लॉकेज, पूर्व में लगे स्टेंट का पुन: ब्लॉकेज और आपातकालीन एंजियोप्लास्टी में बड़े रक्त के थक्के को वाष्पीकृत कर देता है। पारंपरिक बैलून एंजियोप्लास्टी रुकावटों को दूर करने के लिए संपीडि़त बल का उपयोग करता है, जबकि लेजर से निकली उ’च ऊर्जा कोरोनरी ब्लॉकेज को भाप बना देती है।
दिल की बाईं धमनी में था 90 प्रतिशत रुकावट, नई तकनीक से सफल
मुंगेली जिले की 46 वर्षीय महिला को दिल का दौरा और बार-बार सीने में दर्द की शिकायत पर एसीआई में भर्ती कराया गया था। कोरोनरी एंजियोग्राफी से दिल की बाईं तरफ पहली धमनी में 90 प्रतिशत की रूकावट का पता चला। डॉ. स्मित श्रीवास्तव के मुताबिक, पारंपरिक बैलूनिंग द्वारा एंजियोप्लास्टी करने की कोशिशों से इस केस में सफलता नहीं मिली क्योंकि फाइब्रोसिस के कारण ब्लॉकेज बैलून से नहीं खुल पा रहा था। फाइब्रोसिस के कारण ब्लॉकेज को लेजर के उपयोग से खोलना एक सही उपचार का माध्यम है इसलिए रुकावट कोउच्च ऊर्जा युक्त लेजर द्वारा सफलतापूर्वक वाष्पीकृत किया गया और भविष्य में होने वाले ब्लॉकेज को रोकने के लिए स्टेंट लगाए गए। रोगी को प्रक्रिया के 2 दिनों के बाद संस्थान से छुट्टी देने की योजना है।